भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान में बहु-सुविधा प्रशिक्षण परिसर का उदघाटन
भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) में अनुसंधान संबधित समस्त सुविधायें व्याप्त हैं। इस दिशा में संस्थान मुख्यालय, बैरकपुर, कोलकाता में दिनांक 6 अक्तूबर 2021 को संस्थान परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस एक बहु-सुविधा प्रशिक्षण परिसर का उदघाटन किया गया। इस परिषद का उदघाटन डा. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के कर-कमलों से हुआ। इस अवसर पर डा. जयकृष्ण जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली उपस्थित थे। साथ ही, इस समारोह में डा. अनिल राय, सहायक महानिदेशक (आईसीटी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली; डा. गौरांग कर, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्थान, कोलकाता; डा. डी. बी. शक्यवार, निदेशक, भाकृअनुप-निनफेट; डा. एस. के. रॉय, कार्यकारी निदेशक, भाकृअनुप-कृषि तकनीक, अनुप्रयोग संस्थान, कोलकाता; डा. बी. एस. महापात्र, कुलपति, बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, मोहनपुर, नदिया, डा. राम नारायण साहू, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ संस्थान के निदेशक, डा. बसंत कुमार दास, समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
सिफरी का यह बहु-सुविधा प्रशिक्षण परिसर के सभागार में एक साथ 250 लोगों के बैठने की सुविधा है। इस विशेष दिन को उक्त परिसर के उदघाटन के साथ संस्थान की आईसीपी-एमएस सुविधा का उदघाटन एवं मुख्य भवन (द्वितीय तल) का शिलान्यास किया गया। कार्यक्रम का आरंभ गंगा नदी में मछलियों की रैंचिंग के साथ किया गया जिसमें लगभग 75000 लाख मछली के अंगुलिकाओं को गंगा नदी में डाला गया। इस कार्यक्रम में माननीय डा. त्रिलोचन महापात्र, डा. जयकृष्ण जेना, डा. अनिल राय, डा. बसंत कुमार दास, संस्थान कर्मियों के साथ नमामी गंगे परियोजना से जुड़े सदस्यगण उपस्थित थे। तत्पश्चात, बहु-सुविधा प्रशिक्षण परिसर का उदघाटन तथा मुख्य भवन (द्वितीय तल) का शिलान्यास माननीय डा. त्रिलोचन महापात्र के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर उद्घाटित परिसर के सभागार में एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा के आरंभ में माननीय डा. त्रिलोचन महापात्र तथा डा. जेना तथा अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया गया। संस्थान के निदेशक ने अपने स्वागत संभाषण में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मे योगदान और महत्व पर प्रकाश डाला और यह बताया कि परिषद के उचित मार्गदर्शन का ही फल है कि सिफ़री को सर्वश्रेष्ठ संस्थान का पुरस्कार, “सरदार पटेल उत्कृष्ठ संस्थान पुरस्कार” प्राप्त हुआ है। इसके अलावा संस्थान में आईसीपीएमएस (ICP-MS : Inductively coupled plasma mass spectrometry के द्वारा जल में बहुत कम सांद्रता में धातुओं का पता लगाया जा सकता है। इस उपकरण से अंतर्स्थलीय खुला जलों में भारी धातुओं के प्रदूषण का परिमाणीकरण तथा मानदंड तय किया जा सकता है। निदेशक महोदय ने संस्थान की उपलब्धियों पर विस्तृत तौर पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि गत 5 वर्षों में हमारे प्रकाशनों का इम्पैक्ट फैक्टर बढ़ा है। लगभग 46 प्रकाशनों का इम्पैक्ट फैक्टर 5 से अधिक तथा 197 उद्धरण हैं। इस वर्ष के 3 प्रकाशनों का इम्पैक्ट फैक्टर 10 से अधिक है। कई उत्पादों का वाणिज्यिकरण और पेटेंट किया गया है। इसके अलावा संस्थान हिलसा मछली और गांगेय डॉल्फ़िन के संरक्षण पर कार्य कर रहा है। डा. जे. के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने कहा कि इस बहु-सुविध प्रशिक्षण परिसर का उदघाटन बहुत ही शुभ दिन (महालाया) और आज़ादी के 75वें वर्ष अर्थात आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में किया गया है। इसके लिए उन्होने सभी संस्थान कर्मियों को धन्यवाद दिया। उन्होने संस्थान के प्रकाशनों की प्रशंसा की। माननीय डा. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपने संभाषण में सर्वप्रथम कोविड महामारी पर प्रकाश डाला और कहा कि इस महामारी के कारण ना जाने कितने हमारे सहकर्मी भी इसके चपेट में आ चुके है जो बहुत दुख की बात है। अतः हम सभी को कोविड गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। उन्होने आगे यह बताया कि परिषद के संस्थानों को प्रति दिन मीडिया में अपने गतिविधियों अथवा उपलब्धियों का प्रकाशन करना चाहिए क्योंकि सूचना से ही समृद्धि प्राप्त होगी। इस प्रकार के प्रयास से संस्थान की लोकप्रियता और सर्वप्रियता बढ़ेगी और तथा किसानों को विकसित प्रोद्योगिकियों/उत्पादों के बारे में जानकारी मिलेगी। इससे किसानों में जागरूकता के साथ आजीविका के अवसर और आय भी बढ़ेगी। परिषद ने आजादी ने 75वें वर्ष में परिषद की उपलब्धियों और कार्यकलापों पर 75 व्याख्यानों का आयोजन किया है। उन्होने कहा कि प्रत्येक संस्थान को प्रायः प्रत्येक दिन किसी एक अभियान पर फोकस करना चाहिए। हमें महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होने आगे बताया कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के लिए वित्तीय सहायता प्रबंध के साथ जलवायु अनुकूल प्रजातियों, प्रौद्योगिकियों और पद्धतियों के विकास पर ज़ोर दिया है। हमें किसानों के प्रति लगन और दृढ़ता से कार्य करना होगा। हमारा ध्येय निस्वार्थ सेवा तथा सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए जिससे हमारा देश प्रगति के पथ पर और भी अग्रसर होगा। इस कार्यक्रम में एक पुस्तक, Mapping of River Ganga – A GIS Perspective तथा संस्थान द्वारा विकसित उत्पाद, Fish Thanawari का लोकार्पण किया गया। सभा के अंत में श्री राजीव लाल, संयुक्त निदेशक सह कुलसचिव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। समस्त कार्यक्रमों का सफल कार्यान्वयन संस्थान के निदेशक, डा. बसंत कुमार दास के मार्गदर्शन में हुआ।